रहस्यमयी बुखार 'स्क्रब टायफ़स' की चपेट में उत्तरप्रदेश

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रहस्यमयी बुखार 'स्क्रब टायफ़स' की चपेट में उत्तरप्रदेश

विगत एक माह से उत्तरप्रदेश में एक रहस्यमयी बुखार के संकट से जूझ रहा है. ये बुखार इतना वायरल है कि शायद ही उत्तरप्रदेश का कोई ऐसा घर हो जिसमें एक रोगी पीड़ित न निकले. लोग जूझ रहे हैं. ठीक भी हो रहे हैं. कुछ रोग की अज्ञानता में कोलैप्स भी कर जा रहे हैं. प्रदेश एक अघोषित पेन्डेमिक से गुज़र रहा है.


इस बुखार का रहस्य ये है कि सारे लक्षण डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया से मिलते जुलते हैं पर जब टेस्ट कराइये तो सब निगेटिव आता है. क्योंकि बीमारी के लक्षण भले ही मिलते हों पर बीमारी अलग है.

विडंबना ये है कि बहुत से डॉक्टर भी वायरल मान कर उसका ट्रीटमेंट दे रहे हैं या डेंगू का ट्रीटमेंट दे रहे हैं. उनको भी रोग के विषय में नहीं मालूम।

(ये मैं इस आधार पर कह रहा हूँ कि मेरे परिचित दिव्या मिश्रा राय के बेटे और पति, दोनों के बुखार को डेंगू समझ कर ट्रीटमेंट दिया गया और दोनों ही सुप्रसिद्ध डॉक्टर्स के द्वारा दिया गया)

जब 12 नवंबर को दिव्या मिश्रा राय में लक्षण दिखे तो उन्हे उनके फैमिली डॉक्टर को दिखाया गया। उन्होंने इस नयी बीमारी का नाम बताया "स्क्रब टायफ़स"।

फिर उन्होंने इस बीमारी के विषय में रिसर्च की और उन्हें लगा कि इसको सबसे शेयर करना चाहिये क्योंकि उनके कुछ बहुत ही अजीज़ लोगों की मृत्यु का समाचार मिल चुका था।

श्रीमती दिव्या मिश्रा राय द्वारा दी गई जानकारी.....

स्क्रब टायफ़स के संक्रमण का कारण:-

थ्रोम्बोसाइटोपेनिक माइट्स या chigger नामक कीड़े की लार में orientia tsutsugamushi नामक बैक्टीरिया होता है, जो स्क्रब टायफ़स का कारण है। इसी के काटने से ये फैलता है। इन कीड़ों को सामान्य भाषा में कुटकी या पिस्सू कहते हैं। इनकी साइज़ 0.2 mm होती है।

संक्रमण का incubation period 6 से 20 दिन का होता है, अर्थात कीड़े के काटने के 6 से 20 दिन के अंदर लक्षण दिखना शुरू होते हैं।

स्क्रब टायफ़स के लक्षण:-

(इसके लक्षण डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया सभी के मिले जुले लक्षण हैं)

  • ठण्ड दे कर तेज़ बुखार आना
  • बुखार का फिक्स हो जाना, सामान्य पैरासिटामोल से भी उसका न उतरना
  • शरीर के सभी जोड़ों में असहनीय दर्द व अकड़न होना
  • मांसपेशियों में असहनीय पीड़ा व अकड़न
  • तेज़ सिर दर्द होना
  • शरीर पर लाल रैशेज़ होना
  • रक्त में प्लेटलेट्स का तेज़ी से गिरना
  • मनोदशा में बदलाव, भ्रम की स्थिति (कई बार कोमा भी)

खतरा:-

समय पर पहचान व उपचार न मिलने पर

  • मल्टी ऑर्गन फेलियर
  • कंजेस्टिव हार्ट फेलियर
  • सरकुलेटरी कोलैप्स

मृत्युदर:-

सही इलाज न मिलने पर 30 से 35% की मृत्युदर तथा 53% केस में मल्टी ऑर्गन डिसफंक्शनल सिंड्रोम की पूरी सम्भावना..

कैसे पता लगाएं:-

Scrub antibody - Igm Elisa नामक ब्लड टेस्ट से इस रोग का पता लगता है। (सब डेंगू NS1 टेस्ट करवाते हैं और वो निगेटिव आता है।)

निदान:-

  • जिस प्रकार डेंगू का कोई स्पेसिफिक ट्रीटमेंट नहीं है वैसे ही स्क्रब टायफ़स का भी अपना कोई इलाज नहीं है।
  • अगर समय पर पहचान हो जाए तो doxycycline नामक एंटीबायोटिक दे कर डॉक्टर स्थिति को नियंत्रित कर लेते हैं.
  • पेशेंट को नॉर्मल पैरासिटामोल टैबलेट उसके शरीर की आवश्यकता के अनुसार दी जाती है।
  • बुखार तेज़ होने पर शरीर को स्पंज करने की सलाह दी जाती है।
  • शरीर में तरलता का स्तर मेन्टेन रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी, ORS, फलों के रस, नारियल पानी, सूप, दाल आदि के सेवन की सलाह दी जाती है।
  • लाल रैशेज़ होने पर कैलामाइन युक्त लोशन लगाएं।
  • रेग्युलर प्लेटलेट्स की जाँच अवश्यक है क्योंकि खतरा तब ही होता है जब रक्त में प्लेटलेट्स 50k से नीचे पहुँच जाती हैं।
  • आवश्यकता होने पर तुरंत मरीज़ को हॉस्पिटल में एडमिट करना उचित है।

बचाव:-

  • स्क्रब टायफ़स से बचाव की कोई भी वैक्सीन अब तक उपलब्ध नहीं है।
  • संक्रमित कीड़ों से बचने के लिए फुल ट्रॉउज़र, शर्ट, मोज़े व जूते पहन कर ही बाहर निकलें।
  • शरीर के खुले अंगों पर ओडोमॉस का प्रयोग करें।
  • घर के आस पास, नाली, कूड़े के ढेर, झाड़ियों, घास फूस आदि की भली प्रकार सफाई करवाएं. कीटनाशकों का छिड़काव करवाएं।
  • अपने एरिया की म्युनिसिपालिटी को सूचित कर फॉग मशीन का संचरण करवाएं।

नोट:-

स्क्रब टायफ़स एक रोगी से दूसरे रोगी में नहीं फैलता। सिर्फ और सिर्फ चिगर नामक कीड़े के काटने पर ही व्यक्ति इससे संक्रमित हो सकता है।

(कृपया इस जानकारी को आगे बढ़ाने में मेरा सहयोग करें. क्या मालूम किसके काम आ जाए और किसी की जान बच जाए)

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1 Comments

Sundarta said…
Very nice..very useful and informative content