लिखूंगा, आज लिखूंगा धर्म पर, अधर्म पर, राम पर, रावण पर, हार पर, जीत पर, शोषित पर, वंचित पर , दलित पर, बुद्ध पर, जैन पर, दर्शन पर, हिन्दू पर, मुस्लिम पर, गर्व पर , अहंकार पर, उम्मीद पर, निराशा पर, शत्रु पर, मित्र पर, गरीब पर, अमीर पर, कृष्ण पर, कंस पर, ज्ञान पर, अज्ञान पर, विज्ञान पर। आज लिखूंगा मैं दुनिया की हर विधा पर, हर बात पर, हर सोच पर। आज लिखूंगा मैं ।
लिखूगां उस शहर के उन उस इन्सान के बारे में जो खुद के बच्ची होते हुये भी दूसरी लड़कियों को गिद्ध की नजर से देखता है ।
लिखूंगा आज उस माँ पर जो कभी बीवी में दिखती है,कभी बहन में,कभी दोस्त में तो कभी हृदय में। लिखूंगा आज उस विज्ञान के बारे में जो रहस्य दर रहस्य बतलाता चला जा रहा है बस ये नहीं बता पा रहा की मानव मस्तिष्क में क्या चल रहा। लिखूंगा आज उस कुपोषित बच्चे के बारे में जिसके इलाज की जगह उसके कुपोषण का स्तर नापा जा रहा। लिखूंगा कृष्ण के उपदेशों पर जो यमुना में किसी गंदे नाले की तरह बहा दिया जा रहा । लिखूंगा उन धर्मांधों के बारे में जिन्होंने धर्मयुद्ध छेड़ रखा है। लिखूंगा उस रावण पर जो धनुष बाण ताने खड़ा है एक रावण को जलाने रामलीला मैदान में। लिखूंगा उस बलात्कारी पर जो किसी की कोख उजाड़ कर किसी की कोख बदनाम कर देता है । लिखूंगा उस शर्म पर जो खुलेआम मूतते पुरषों को देखकर महिलाओं और बच्चों के चेहरे पर आ जाती है। लिखूंगा उस हीनता पर जो दिखावे के लिए किसी दरिद्र के घर का पानी पीता और आधे घंटे तक मुहं को रगड़ता रहता है । लिखूंगा आज उस कष्ट पर जो अपने ही देश में अपनी भाषा में नौकरी नहीं पाता । लिखूंगा आज उस साहूकार पर पैसे के बदले आज भी इज़्ज़त की फरमाइश करता है ।
लिखूंगा आज उस औरत के कौमार्य पर जो दूध का गिलास लेकर सुहागरात की सेज पर जा रही। लिखूंगा आज उस व्यक्ति पर जो सड़क पर गिर पड़े बुजुर्ग को उठाने दौड़ पड़ता है । लिखूंगा आज उस राधा पर जो कृष्ण के प्रेम में मीरा बन बैठी है। लिखूंगा आज उस प्रेमी जोड़े पर जो साथ में मरने के पहले एक दुसरे को चूमना चाहता है। लिखूंगा आज बड़े बड़े शहरों की बड़ी बड़ी बिल्डिंग में लटकी हुई जिंदगी पर। लिखूंगा आज मेट्रो में भीड़ देखकर लड़कियों से सटते अधेड़ उम्र के बुद्धों के बारे में। लिखूंगा आज उस अपाहिज के बारे में सोने का मैडल लटकाये देश लौट रहा है। लिखूंगा आज उस माँ के बारे में जो अपने शहीद लड़के की मूर्ती को उसके जन्मदिवस पर साफ़ करने आती है। लिखूंगा आज स्वाभिमान के बारे में जो मेनहत से रोटी कमा कर खुश है। लिखूंगा आज उस औरत के बारे में जो अपने कम दिमाग के पति से प्रेम करके पतिव्रता धर्म का पालन करती है। लिखूंगा आज उस क्षेत्रवाद पर जो देश से पहले क्षेत्र विशेष को मानता है । लिखूंगा आज उस गांधी पर सत्य पर नहीं काली कमाई पर पसंद किया जाता है। लिखूंगा आज उस आदमी पर जो मुर्दाघर से लावारिश लाश को लेकर उनका दाह संस्कार करता है। लिखूंगा आज उस लड़के पर जो अंजान सी लड़की को सही सलामत उसके घर छोड़ने जाता है। लिखूंगा आज इश्क़ करते हुए नए जोड़े को जो तकरार का मतलब नहीं जानते। लिखूंगा आज इश्क़ की किताब जिसमे कहानी होगी किसी और के इश्क़ की।
सबकुछ अच्छा बुरा सजीव निर्जीव, इश्क़ नफरत सब पर लिखूगां ...
...बस...आज तुम पर नहीं लिखूगां ...
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