VPN Services in India: भारत में अब वीपीएन यानी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (Virtual Private Network) का इस्तेमाल अब प्राइवेट नहीं रहेगा। अब वीपीएन (VPN) कंपनियों को अपने ग्राहकों का डेटा (customer data) एकत्र करना होगा और इसे पांच साल या उससे अधिक के लिए बनाए रखना होगा।
देश की कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम, जिसे सीईआरटी-इन के रूप में जाना जाता है, उसके द्वारा जारी नए राष्ट्रीय निर्देश के तहत ये कहा गया है। यह एक ऐसी नीति है जो संभवतः वीपीएन कंपनियों और वीपीएन उपयोगकर्ताओं दोनों के लिये काम करना और अधिक कठिन बना देगी।
ये निर्देश वीपीएन प्रदाताओं तक सीमित नहीं हैं। डेटा सेंटर और क्लाउड सेवा प्रदाता दोनों एक ही प्रावधान के तहत सूचीबद्ध हैं। ग्राहक द्वारा अपना सब्सक्रिप्शन या खाता रद्द करने के बाद भी कंपनियों को ग्राहक की जानकारी रखनी होगी। सभी मामलों में, सीईआरटी-इन को कंपनियों को अपने उपयोगकर्ताओं के "सोशल मीडिया खातों तक अनधिकृत पहुंच" पर रिपोर्ट करने की आवश्यकता होगी।
अधिकांश वीपीएन नो-लॉगिंग पॉलिसी पर करते हैं काम
अधिकांश वीपीएन नो-लॉगिंग पॉलिसी पर काम करते हैं। कंपनियां वादा करती हैं कि ग्राहक के उपयोग और ब्राउज़िंग डेटा को लॉगिंग, एकत्र करने या साझा नहीं किया जाएगा। एक्सप्रेस वीपीएन और सर्फशार्क जैसी प्रमुख सेवाएं केवल रैम-डिस्क सर्वर और अन्य लॉग-लेस तकनीक के साथ काम करती हैं, जिसका अर्थ है कि वीपीएन सैद्धांतिक रूप से यूआरएल की निगरानी में असमर्थ होंगे।
डिजिटल राइट्स एडवोकेसी ग्रुप एक्सेस नाउ ने पिछले महीने रिपोर्ट दी थी कि भारत में सरकार द्वारा लगाए गए इंटरनेट शटडाउन और व्यवधान वैश्विक कुल 182 सरकारी कार्यों में से 106 या लगभग 60 फीसदी के लिए जिम्मेदार हैं।
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