” जन जन के राम – रामायण कॉन्क्लेव” कार्यक्रम का भव्य आयोजन महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ इंफार्मेशन टेक्नालोजी, नोएडा परिसर में आज संपन्न हुआ, जिसमें विशिष्ट अतिथि के तौर परम पूज्य साध्वी डॉ. विश्वेश्वरी देवी जी उपस्थित थी, उनके साथ परम पूज्य नीरज नयनजी महराज, राम कथा वाचिका साध्वी सुश्री दीपिका भारती जी, प्रोफेसर उमापति दीक्षित, प्रोफेसर मौली कौशल जी, श्री चन्द्रशेखर जी, श्री चन्द्रमणि मिश्र और प्रोफेसर उपेंद्र राव जी उपस्थित थे। उक्त कार्यक्रम अयोध्या शोध संस्थान के संयोजन में संस्कृति विभाग और पर्यटन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से संपन्न हुआ।
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“जन जन के राम – रामायण कॉन्क्लेव” कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि परम पूज्य साध्वी डॉ. विश्वेश्वरी देवी जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि “हरि अनंत हरि कथा अनंता” अर्थात राम अनंत हैं।” संत परंपरा भारत में अनादि काल से विद्यमान है। ऋषियों और मुनियों ने वैदिक ज्ञान को वाचिक और श्रुत परंपरा के द्वारा संचालित होता था। जो कथा वेद में नहीं है, वह कथा संसार में नहीं हो सकता है। सभी वेदों में ऋगवेद सबसे प्राचीन वेद है और इस वेद के दसवें अध्याय में संपूर्ण श्रीराम जी के बारे में एक पंक्ति में वर्णन किया गया है। रामायण आदि काव्य है और महर्षि वाल्मीकि आदि कवि हैं। संतों की परंपरा ने राम को जन जन तक पहुंचाया और राम ने संतों की रक्षा की। वेद व्यासजी ने राम कथा की संत परंपरा को आगे बढ़ाया। इसके बाद के परवर्ती संतों ने राम कथा को जन-जन के राम को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
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