प्रेम…
किसी दीवार पे लगी खूँटी पे टंगी शर्ट नहीं है,
जिसे आप जब चाहे पहन लो या जब चाहे फिर खूँटी पे टांग दो।
मेरे लिए प्रेम ईश्वरीय सरीखा है। दिल के किसी कोने में बसे प्रेमी की जगह कोई नहीं ले सकता। जब कोई ख्याल दिल से टकराता है तो दिल ना चाहते हुए भी, खामोश रह जाता है, कोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता है; कोई कुछ ना कहकर भी आंखों ही आंखों में सब बोल जाता है। आप दिखावे के लिये आप भले ही बोल कि प्रेम नहीं है, पर आपका मन और दिल।
जानता है, सत्य क्या है। यही तो ख़ूबसूरती है प्रेम की। अद्भुत होता है प्रेम, वहाँ और भी अधिक जहाँ उसके होने और बने रहने की संभावना सबसे अंश मात्र हो। प्रेम तो बस प्रेम है किसी का भी हो , कहीँ भी हो, रत्ती भर भी हो औऱ एक पल को भी हो आदरणीय होता है।
...........................................................................................................................................................................
0 Comments